ये डाॅक्टर्स
कभी इन्हें भगवान समझ, आशा से अधिक उम्मीद जगा लेते हैं लोग
आशा जो परिवर्तित हुई, निराशा में कोसना भी न त्यज पाते यही लोग
अरे! इन्सान हैं ये
तुम्हारे हित के लिए खड़े सदैव तत्पर
कुछ गलत होने पर इनमें दोष ढूँढने वालों
अपने कर्मानुसार रेखाओं को न परख सकने वालों
हमें बचाने के प्रयास में निरन्तर
ये डाॅक्टर्स
विधान तो विधाता का है, इनका नहीं !
अरे माध्यम हैं ये ईश्वर की परिकल्पनाओं का
कुछ सादृश्य मेरे भी यथार्थ दर्शन को आ गए
अनुभवों की दुनिया से अनुभूति में समा गए
रोग था ऐसा लगा, डाक्टर्स बिन फिर क्या भला
उसी राह पर चल दिए, कितने डाक्टर्स से मिल लिए
शिथिलता जो थी मन में छाई
क्रियाशील होने की स्थिति में आई
मात्र हाल पूछने से ज्ञानमूलक प्रवृत्ति चैतन्य होने की स्थिति में आई
स्वतः मन में आ गया, अब तो ठीक हो पाऊँगी
डाॅक्टर हैं ऐसे मिले, फिर नई गति क्यों न पाऊँगी
कुछ डाक्टर्स और मिले
सफेद रंग के छोटे नाजुक फूल से
और व्यवहार में सुन्दर
बहुत ही प्यारे सुखद सम्पदा से
सघर्षों की मधुरिम वेला, नित आगे बढ़ना सिखलाती
रात-दिन का पता नहीं है,परोपकार का पथ दिखलाती